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सर्वेक्षण के मूलभूत सिद्धांत(Basic principles of surveying)

सर्वेक्षण के मूलभूत सिद्धांत (basic principles of survey)


कार्य की परिशुद्धता को दृष्टि में रखते हुए सर्वेक्षण के मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं
(Following are the basic principles of survey keeping in view the precision of work)

1. पूर्ण से अंश की ओर सर्वेक्षण कार्य बढ़ाना (Working from whole to the part)

2.नए बिंदुओं की स्थिति कम से कम दो संदर्भ बिंदुओं से निर्धारित करना (Locating new points from two Reference point)


1.Working from whole to the part

 2.Determining the position of new points with at least two reference points (Locating new points from two reference point)


1.प्रथम सिद्धांत के अनुसार सर्वेक्षण कार्य पूर्ण से शुरू किया जाता है  |और इसे अंश की ओर बढ़ाया जाता है जिस क्षेत्र में सर्वेक्षण करना होता है, सर्वप्रथम उसमें पर्याप्त मुख्य नियंत्रण बिंदुओं का बड़ी सावधानी से चयन किया जाता है, और इन बिंदु की स्थिति की परिशुद्धता से जांच की जाती है,  अब इन बिंदुओं के द्वारा लघु बिंदु स्थापित किए जाती हैं जिनमें कम परिशुद विधि अपनाई जा सकती है |

    इस सिद्धांत से लघु त्रुटियां, छोटे क्षेत्र में ही सीमित रह जाती हैं और वह संचित होकर बड़ा रूप नहीं ले सकती हैं | यदि इस सिद्धांत के विपरीत कार्य किया जाए दो लघु त्रुटियां भी बढ़कर अंत में बड़ी त्रुटियां बन जाती हैं, और उन पर नियंत्रण पाना कठिन होता है |


 1. According to the first principle, the survey work is started from the complete. And it is extended towards the numerator, the area in which the survey is to be done, first of all sufficient main control points are carefully selected, and these points  The state of the condition is investigated with precision, now small points are established by these points in which less sophisticated method can be adopted.

 By this theory, small errors are confined to a small area and they cannot accumulate and take a big form.  If the opposite of this principle is to be worked out, even two minor errors become big errors in the end, and they are difficult to control.


2.दूसरे सिद्धांत के अनुसार नए बिंदुओं तथा रेखाओं की स्थापना कम से कम दो संदर्भ बिंदुओं से की जाती है | इसके लिए संदर्भ बिंदु से उपयुक्त संख्या में लंब,  खसके तथा कोडिये  पैमाइशे ली जाती है | संदर्भ बिदुओं की स्थिति पहले ही ज्ञात  होती है |
   
 2.According to the second principle, new points and lines are established with at least two reference points.  For this, a suitable number of perpendicular, poppy and coded measurements are taken from the reference point.  The position of the reference points is already known.


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