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प्रकाष्ठ, वृक्षों का वर्गीकरण (Classification of Tree) - 1.उत्पत्ति या बढ़ोतरी के आधार पर वर्गीकरण-~बहिर्जात या बहिर्मुखी वृक्ष (Exogenous tree or outward growing trees)~अन्तर्जात या अंतर्मुखी वृक्ष (Endogenous tree or Inward growing trees), 2.मौसम या हरियाली के आधार पर वर्गीकरण-यह निम्न दो प्रकार के होते हैं ~सदाबहारी वृक्ष (Coniferous or Evergreen Trees)~पतझड़ी वृक्ष ( Deciduous or Season Trees)

प्रकाष्ठ, वृक्षों का वर्गीकरण (Classification of Tree)




प्रकाष्ट  के तीन रूप हैं

(1) जब वह जीवित वृक्ष के रूप में होता है तो इसे जीवित या खड़ा प्रकष्ट (Standing Timber)कहते हैं |

(2) जब वृक्ष को काटकर गिराया जाता है तो वह कच्चा निर्जीव प्रकष्ट के नाम से जाना जाता है |

(3) जब इसे चीरकर विभिन्न उपयोगी रूप जैसे धरन (Beam),  कड़ियां (Battens), पटरे (Planks) दे दिए जाते हैं तो यह परिवर्तित प्रकष्ट (Converted Timber) कहलाता है |


There are three forms of timber

 (1) When it is in the form of a living tree, it is called standing or standing timber.

 (2) When the tree is cut down, it is known as raw lifeless timber.

 (3) When it is ripped and given various useful forms like beams, battens, planks, it is called Converted Timber.


 वृक्षों का वर्गीकरण

 वृक्षों का वर्गीकरण मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है


1.उत्पत्ति या बढ़ोतरी के आधार पर वर्गीकरण-

~बहिर्जात या बहिर्मुखी वृक्ष (Exogenous tree or outward growing trees)

~अन्तर्जात या अंतर्मुखी वृक्ष (Endogenous tree or Inward growing trees)

Classification of trees

 The classification of trees is mainly done in two ways.


 1.Classification on the basis of origin or growth.

~ Exogenous tree or outward growing trees

 ~Endogenous tree or inward growing trees


1.बहिर्जात या बहिर्मुखी वृक्ष (Exogenous tree or outward growing tree)-

यह वृक्ष ऊंचाई के साथ-साथ मोटाई (तने की मोटाई) मैं भी बढ़ते हैं | तने की वृद्धि अंदर से बाहर की ओर होती है |  इसका तना प्रतिवर्ष अधिक मोटा होता जाता है | इसकी  छाल के नीचेे प्रतिवर्ष एक वलय जुड़ जाता है | इंजीनियरी कार्यों में बहिर्जात  वृक्ष अधिक प्रयोग में लाये  जाते है |

 टीक, शीशम,  साल,  देवधर, चीड़, बबूल आदि वृक्ष बहिर्जात वृक्ष है |


1.Exogenous tree or outward growing tree -

This tree grows in height as well as thickness (stem thickness).  The stem grows from inside to outside.  Its stem gets thicker every year.  One ring is added annually under its bark.  Exogenous trees are used more in engineering work.

 Teak, rosewood, sal, deodhar, pine, acacia etc are exogenous trees.


2.अन्तर्जात या अंतर्मुखी वृक्ष (Endogeneous or Inward growing tree)-

यह वृक्ष ऊंचाई में तो बढ़ते  है परंतु मोटाई में बाहर की ओर नहीं बढ़ते है | इनका घेरा बहुत कम होता है और प्रतिवर्ष इनकेे तने के अंदर  की तरफ वृद्धि होती है | तने की बाहरी मोटाई में कोई अंतर नहीं आता | इनकी ऊंचाई में वृद्धि कड़ियों में होती है दो कड़ियों के सिरे एक गाठ द्वारा जुड़े हुए होते हैं | इनके तने की भीतर स्पष्ट वलय ना होकर लंबे -लंबे रेशे निकलते  हैं | इनका तना लंबा पतला व लचकदार होता है | इंजीनियरिंग कार्यों में अन्तर्जात वृक्ष का उपयोग नाममात्र है  |

 बॉस,  नारियल,  ताड, खजूर आदि वृक्ष इस वर्ग में आते हैं |

2.Endogeneous or Inward growing tree -

This tree grows in height but does not grow outward in thickness.  Their circumference is very small and every year they grow inside the stem.  There is no difference in the outer thickness of the stem.  Their height increases in the links, the ends of the two links are connected by a knot.  Longer fibers are produced instead of a clear ring inside their trunk.  Their stem is long, thin and elastic.  The use of endogenous trees in engineering works is nominal.

 Bamboo, coconut, palm, palm etc trees fall in this category.


 2.मौसम या हरियाली के आधार पर वर्गीकरण-

यह निम्न दो प्रकार के  होते  हैं

 ~सदाबहारी  वृक्ष (Coniferous or Evergreen Trees)

~पतझड़ी वृक्ष ( Deciduous or Season Trees)


2.Classification based on weather or greenery -

These are of the following two types

~Coniferous or Evergreen Trees

~Deciduous or Season Trees


1.सदाबहारी वृक्ष (Coniferous or Evergreen trees)-

इन वृक्षों की पत्तियां नई पत्तियां आने पर ही गिरती हैं | इनहे  शंकु वृक्ष भी कहते हैं,क्योंकि इनकी पत्तियां लम्बी, पतली व नुकीली होती हैं | इनके फल भी शंकुनुमा होते हैंं  इन वृक्षो की लकड़ी मुलायम होती है |

देवदार, युक्लिप्टिस, ताड़ वृक्ष सदाबहार वृक्ष कहते है |

1.Coniferous or Evergreen trees -

The leaves of these trees fall only when new leaves arrive.  They are also called cone trees, because their leaves are long, thin and pointed.  Their fruits are also conical, the wood of these trees is soft.

 Cedar, eucalyptis, palm tree are called evergreen trees.


2.पतझड़ी वृक्ष (Deciduous or Season Trees)-

यह चौड़े पत्तों वाले वृक्ष होती हैं | पतझड़ ऋतु में इन वृक्षों की पत्तियांं झड़ जाती हैं और बसंत ऋतु आने पर पुनः निकल आती हैं  | इन वृक्षों की लकड़ी कठोर होती है | टीक, शीशम,आम, जामुन आदि वृक्ष पतझड़ी वृक्ष कहलाते हैं |

 ध्यान रहे कि नरम लकड़ी अथवा कठोर लकड़ी का इनके भौतिक गुणों और सामर्थ से कोई मेल नहीं है यह नुकीले  अथवा चौड़ी पत्तियों वाले वृक्षों का वर्गीकरण करने की एक पद्धति है |


2.Deciduous or Season Trees -

It is a tree with broad leaves.  The leaves of these trees fall in the fall and come back again in the spring.  The wood of these trees is hard.  Trees like teak, rosewood, mango, berries etc. are called deciduous trees.

 Keep in mind that soft wood or hard wood has no match with their physical properties and strength, it is a method of classifying trees with pointed or broad leaves.

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