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भवन की योजना (Planning of Buildings), भवन योजना के सिद्धांत (Principles of Building Planning)

भवन की योजना (Planning of Buildings)

 भवन चाहे छोटा हो अथवा बड़ा आवासीय हो, सार्वजनिक हो अथवा औद्योगिक, इसकी पूर्ण योजना निर्माण से पहले बना लेना आवश्यक है | भवन की योजना बनाने से निम्न लाभ होते हैं -

1. आवश्यकता के अनुसार भवन के खंडों का विन्यास किया जा सकता है |

2. भवन की निर्माण लागत पर नियंत्रण रहता है |

3. भवन में अधिक सुविधाएं प्राप्त की जा सकती हैं |

4. संरचना में आवश्यक फेरबदल व तोड़फोड़ से बचा जा सकता है |

5. समय के अंदर भवन तैयार हो सकता है | सामग्री श्रमिक तथा समय का पूर्ण उपयोग होता है |


Planning of Buildings

 Whether the building is small or big residential, public or industrial, it is necessary to make its complete plan before construction. Building planning has the following benefits -

 1. The building blocks can be configured as per the requirement.

 2. Control over the construction cost of the building.

 3. More facilities can be availed in the building.

 4. Necessary alterations and sabotage in the structure can be avoided.

 5. Building can be ready within time. Material, labor and time are fully utilized.


 एक प्लेनर को भवन योजना बनाने से पहले प्रस्तावित स्थल तथा क्षेत्र की पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए | भवन स्वामी की सभी आवश्यकताओं को बड़े ध्यान से नोट कर लेना चाहिए | भवन स्वामी का सामाजिक स्तर, उसकी आदतों, इच्छाओ तथा विचारों का पूर्ण ख्याल रखते हुए कार्य करना चाहिए | अपनी ओर से उस पर कुछ ठोकना नहीं चाहिए | क्योंकि भवन का उपयोग भवन स्वामी को ही करना है |

 पूर्ण स्थिति की जानकारी प्राप्त करके, प्लानर को संरचना के कई प्रस्ताव  (alternate plans) तैयार करने चाहिए | प्रत्येक प्रस्ताव के लाभ हानियों का विश्लेषण करना चाहिए | फिर वित सीमा को देखते हुए जो प्रस्ताव सबसे उत्तम तथा कम व्यय वाला हो, वहीं स्वीकार करना चाहिए | निर्माण के मध्य अनावश्यक फेरबदल से समय तथा धन दोनों का अपव्यय होता है |


A planner should get complete information about the proposed site and area before making a building plan. All the requirements of the owner of the building should be carefully noted. Work should be done taking full care of the social status of the owner of the building, his habits, desires and thoughts. Don't put anything on him from your side. Because the use of the building is to be done by the owner of the building.

 Knowing the full position, the planner should prepare several alternative plans for the structure. Advantages and disadvantages of each proposal should be analyzed. Then considering the finance limit, the proposal which is the best and least cost, should be accepted there. Unnecessary alteration between construction leads to wastage of both time and money.


 भवन योजना के सिद्धांत (Principles of Building Planning)

 भवन योजना बनाते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए (The following points should be kept in mind while making a building plan )


1. सटे कमरे व खंड (Adjacent Rooms & Sections)

 अलग-अलग कमरों की अपेक्षा सटे कमरों के निर्माण में कम व्यय आता है क्योंकि कुछ दीवारें साझी बनाई जा सकती हैं |

1. Adjacent Rooms & Sections

 The cost of construction of adjoining rooms is less as compared to separate rooms because some walls can be made common.


2. वर्गाकार आकृति (square shape)

 आयताकार भवन की अपेक्षा वर्गाकार भवन 15% से 20% सस्ता पड़ता है | यह ठोस, देखने में सुंदर तथा वायुमंडलीय प्रभावों से अधिक सुरक्षित रहता है |

2. square shape

 Square building is 15% to 20% cheaper than rectangular building. It is solid, beautiful to look at and more protected from atmospheric influences.


3. मितव्ययी रचना (Thrifty Composition)

 एक मंजिल भवन की तुलना में बहुतली भवन अधिक सस्ता पड़ता है, क्योंकि ऊपरी मंजिलों के लिए अलग से नीव की आवश्यकता नहीं रहती | यह बचत 15% तक रहती है तथा भूमि की भी अलग से आवश्यकता नहीं पड़ती |

3. Thrifty Composition

 A multi-storey building is cheaper than a single-storey building, as there is no need for a separate foundation for the upper storeys. This saving remains up to 15% and land is also not required separately.


4. ऊंचाई (Height)

 कमरों की ऊंचाई आवश्यकता से अधिक नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि ऊंची दीवारों के निर्माण में अधिक व्यय आता है तथा नीव पर अधिक भार पडता है | कमरे की ऊंचाई 3 से 3.6 मीटर पर्याप्त रहती है |

4. Height

 The height of the rooms should not be kept more than the requirement, because more expenditure is incurred in the construction of high walls and there is more load on the foundation. Room height of 3 to 3.6 meters is sufficient.


5. छत आवरण (Roof Cover)

 औद्योगिक क्षेत्रों तथा सार्वजनिक भवनों की छतों का ऊपरी भाग किसी विशेष काम नहीं आता | अतः इनको ढालू रखा जा सकता है | यह छत काफी सस्ती पड़ती है और सीलन मुक्त होती है |

5. Roof Cover

 The upper part of the roofs of industrial areas and public buildings is of no special use. So they can be kept sloping. This roof is very cheap and is damp free.


6. परिचलन (Circulation)

 विभिन्न कमरों की स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि भवन के अंदर कम से कम परिचलन हो | सीढी, स्नानगृह, शौचालय ऐसे स्थान पर स्थित हो कि भवन निवासियों को इन तक पहुंचने के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े |

6. Circulation

 The position of the different rooms should be such that there is minimum movement inside the building. Stairs, bathrooms, toilets should be located in such a place that the residents of the building do not have to wander here and there to reach them.


7. वायु व प्रकाश (Air and Light)

 कमरों में वायु तथा प्राकृतिक प्रकाश के पहुंचने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए | प्रत्येक कमरे में दिन में एक बार सूर्य की किरण का प्रवेश अवश्य होना चाहिए |

7. Air and Light

 There should be proper arrangement for access of air and natural light in the rooms. Sun rays must enter every room once a day.


8. एकांतता (Solitude)

 कमरों की स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि भवन में एकांतता (Privacy) तथा सुरक्षा की भावना बनी रहे | एक मंजिल से दूसरी मंजिल पर जाने के लिए अथवा एक कमरे से दूसरे कमरे में जाते समय अन्य कमरों को अनावश्यक रूप से लांगना ना पड़े |

8. Solitude

 The position of the rooms should be such that there is a sense of privacy and security in the building. To go from one floor to another or while going from one room to another or other rooms should not have to be unnecessarily long.


9. सुविधाएं (Facilities)

 भवन के अंदर सभी आवश्यकताओं तथा सुख सुविधाओं को दृष्टि में रखते हुए सपाट छतें, खुला आंगन  (court -yard), चौड़े बरामदे, जल आपूर्ति, तथा जल निकासी के लिए पहले से ही प्रावधान होना चाहिए |

9. Facilities

 Keeping in view all the necessities and amenities inside the building, there should be provision in advance for flat roofs, court-yard, wide verandahs, water supply, and drainage.

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