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सर्वेक्षण रेखा के दिकमान (Bearings of a Line),A.रेखा (line),B. दिकमान (Bearing)C. दिकमानो में संबंध (Relationship in bearings), दिकमानो से रेखाओ के अंतर्गत कोणो की गणना (Calculating the Included angles for Bearings),चक्रम के कोणों की गणना करना (Calculating Angles of a Traverse)

सर्वेक्षण रेखा के दिकमान (Bearings of a Line)


A.रेखा (line)

दो स्टेशन - बिंदुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा, सर्वेक्षण रेखा कहलाती है | सर्वेक्षण रेखा का नामांकन इसके छोरों पर दर्शाए गए अक्षरों से किया जाता है जैसे रेखा AB इसमें प्रारंभिक बिंदु A तथा अंतिम बिंदु B है | हम रेखा BA भी कह सकते हैं, परंतु तब B इसका प्रारंभिक बिंदु तथा A इसका अंतिम बिंदु होगा |

A.Line

 A straight line joining two station-points is called a survey line. The enrollment of the survey line is done by the letters shown at its ends such that line AB has starting point A and ending point B. We can also call the line BA, but then B will be its starting point and A will be its end point.


B. दिकमान (Bearing)

 प्रत्येक सर्वेक्षण रेखा के दो दिकमान होते हैं | जो दिकमान रेखा के प्रारंभिक बिंदु पर ( कार्य की प्रगति की दिशा की ओर ) लिया जाता है उसे अग्र दिकमान (Fore Bearing - F. B) और जो दिकमान आगे बढ़कर रेखा के अंतिम बिंदु पर ( कार्य की प्रगति की दिशा के विपरीत ) लिया जाता है, उसे पश्य दिकमान (Back Bearing - B. B) कहते हैं |

B. Bearing

 Each survey line has two bearings. The bearing which is taken at the starting point of the line (towards the direction of progress of work) is taken as the Fore Bearing - F. B and which is taken forward at the end point of the line (opposite to the direction of progress of work). It is called Back Bearing - B. B.


C. दिकमानो में संबंध (Relationship in bearings)

 एक रेखा के अग्र दिकमान (F. B) तथा पश्य दिकमान (B. B) का अंतर सदैव 180° होता है |

 पश्य दिकमान = अग्र दिकमान ± 180°

            B. B = F. B ± 180°

 जब अग्र दिकमान (F. B)180° से कम है, (+) चिन्ह और जब 180° से अधिक है, (-) चिन्ह  लगाएं | उपरोक्त नियम पूर्णव्रत दिकमान प्रणाली (W. C. B) के लिए हैं |

 चतुर्थांश या समानीत दिकमान (R. B) प्रणाली में अग्र तथा पश्य दिक़मानो का अंकिक मान तो वही रहता है, परंतु उसके दिग बिंदु बदल जाते हैं |
N को S मे तथा E को W मे बदल दे
 इसी प्रकार S को N मे तथा W को E मे परिवर्तित करें |


C. Relationship in bearings

 The difference between the forward bearing (F. B) and the back bearing (B. B) of a line is always 180°.

 Back bearing = Fore bearing ± 180°

    B. B = F. B ± 180°

 When the Fore bearing (F. B) is less than 180°, put the (+) sign and when it is greater than 180°, the (-) sign . The above rules are for the whole circle bearing scale system (W. C. B).

 In the Quadrant or Reciprocal bearing Scale (R. B) system, the numerical values ​​of the fore and back bearing remain the same, but their bearing points change.

 Change N to S and E to W

 Similarly convert S to N and W to E.


 दिकमानो से रेखाओ के अंतर्गत कोणो की गणना (Calculating the Included angles for Bearings)

 जब दो रेखाएं आकर एक बिंदु पर मिलती हैं तो उस बिंदु पर दो कोण बनते हैं -

 भीतरी कोण (Interior Angle)

 बाहरी कोण (Exterior Angle)

 दोनों कोणो का योग सर्वदा 360° होता है | इन कोणों को अंतर्गत कोण (Included Angle) भी कहते हैं |

 दिकसूचक सीधे दो रेखाओं के मध्य का कोण नहीं माप सकता | यह चुंबकीय याम्योत्तर के संदर्भ में ही दिकमान दर्शाता है | यह दिकमान पूर्णव्रत अथवा समानीत प्रणाली में होते हैं | अतः दिकमानो से दो रेखाओं के भीतरी अथवा बाहरी कोणों की गणना निम्न प्रकार की जाती है |

Calculating the Included angles for Bearings

 When two lines meet at a point, then two angles are formed at that point.

 Interior Angle

 Exterior Angle

 The sum of the two angles is always 360°. These angles are also called included angles.

 The compass cannot measure the angle between two straight lines. It shows the bearing in terms of magnetic meridian only. These bearing are in whole circle bearing or Reduced bearing system. Therefore, the interior or exterior angles of two lines are calculated as follows.


 जब दिकमान पूर्णव्रत प्रणाली (W. C. B) मे दे रखे है -

~ बड़े दिकमानो से छोटा दिकमान घटाएं | यदि अंतर 180° से कम है तो यह भीतरी कोण होगा, यदि अंतर 180° से अधिक है तो यह बाहरी कोण होगा |

~ बाहरी कोण को 360° से हटा दें, भीतरी कोण ज्ञात हो जाएगा |

~ एक बहुभुज के सभी भीतरी कोणों का योग
 (2N - 4) × 90° होता है और बाहरी कोणो का योग (2N + 4) × 90° आता है, जहां N = भुजाओं की संख्या ली जाती है |

~ यदि दिए गए दिकमान रेखाओ के मिलन बिंदु नहीं दिये है, तो इनमें ± 180° जोड़कर, मिलन बिंदु का दिकमान ज्ञात कर ले |

When the scales are given in the whole circle bearing system (W. C. B) -

 ~ Subtract smaller dimensions from larger ones. If the difference is less than 180° it will be an Interior angle, if the difference is more than 180° it will be an Exterior angle.

 ~ Subtract the Exterior angle from 360°, the Interior angle will be known.

 ~ sum of all interior angles of a polygon

 (2N - 4) × 90° and the sum of the exterior angles is (2N + 4) × 90°, where N = number of sides.

  ~ If the meeting points of the given bearing lines are not given, then by adding ± 180° to them, find the bearing of the meeting point.


चक्रम के कोणों की गणना करना (Calculating Angles of a Traverse)

 चक्रम दो प्रकार की होती हैं जब सर्वेक्षण रेखाओं का दिकमान दक्षिणावर्त घूमते हुए लिया जाता है, तब इसे दक्षिणावर्त चक्रम कहते हैं | जब वामावर्त घूमते हुए दिकमान लिए जाते हैं तो यह वामावर्त चक्रम कहलाती है |

 चक्रम की दो रेखाओ के मध्य बनने वाले अंतर्गत कोण (Included Angle) की गणना करने के लिए, दिए गए दिकमानो के आधार पर सर्वप्रथम चक्रम का एक रफ चित्र बना लिया जाता है और यही पहचान की जाती है की चक्रम दक्षिणावर्त है अथवा वामावर्त | यदि स्पष्ट ना किया गया हो, तब चक्रम को पहले वामावर्त मान लिया जाता है | अंतर्गत कोण निकालने की नियम निम्न है -

Calculating Angles of a Traverse

 There are two types of Traverse, when the bearing of the survey lines are taken by rotating them clockwise, then it is called clockwise. When the bearing are taken while rotating anti clockwise, it is called anti clockwise Traverse.

 To calculate the included angle between the two lines of the Traverse, on the basis of the given directions, a rough picture of the Traverse is first made and it is identified whether the Traverse is clockwise or Anti-clockwise. If not specified, then the traverse is first assumed to be Anti-clockwise. The following is the rule for finding the angle under -


1. जब चक्रम की रेखाओं के केवल अग्र दिक़मान (F. B) ही दे रखे हैं -

~ दक्षिणावर्त (Clockwise) चक्रम के लिए
    a = B - F ± 180°

 ~ वामावर्त (Anti - clockwise) चक्रम के लिए
    a = F - B ± 180°

a = दो रेखाओं का अंतर्गत कोण (Included Angle)

B = पिछली रेखा का अग्र दिकमान (F. B of Previous line)

F = अगली रेखा का अग्र दिकमान (F. B of Next line)

1. When only the fore bearing(F. B) of the lines of the traverse is given -

 ~  For Clockwise traverse
     a = B - F ± 180°

 ~  For Anti - clockwise traverse
     a = F - B ± 180°


 a = Included Angle

 B = Fore Bearing of Previous line

 F = Fore Bearing of Next line


2. जब चक्रम की रेखाओं के अग्र दिकमान (F. B) तथा पश्य दिकमान (B. B) दोनों दे रखे हो -

~ दक्षिणावर्त (Clockwise) चक्रम के लिए
   a = B.B. - F.B. ± 360°

 ~ वामावर्त (Anti - clockwise) चक्रम के लिए
   a = F.B. - B.B ± 360°

a = दोनों रेखाओं का अंतर्गत कोण (Included Angle)

B.B. = पिछली रेखा का पश्य दिकमान

F.B. = अगली रेखा का अग्र दिकमान 

2. When both the forward direction (F. B) and the reverse direction (B. B) of the lines of the circle are given -

 ~  For Clockwise traverse
   a = B.B. - F.B. ± 360°

 ~ For  Anti - clockwise traverse
   a = F.B. - B.B ± 360°

 a = Included Angle

 B.B. = Back bearing of the previous line

 F.B. = fore bearing of the next line

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