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( पाइलों का वर्गीकरण )types of piles -कार्य के अनुसार पाइलों की किस्में (Varieties of pile according to work)~ धारक पाइले (Bearing Piles)~ चादरी पाइल्स (Sheet Piles)~ घर्षण पाइले (Friction or Floating Piles)~ सहनन पाइले (Compaction Piles)~ढालू या प्रवण पाइल (Batter Piles)~ निर्देशक पाइल (Guide Pile), मटेरियल के अनुसार पाइलों की किस्में~काष्ठ पाइले (Timber Piles)~ कंक्रीट पाइले (Concrete Piles)~इस्पाती पाइले (Steel Piles)~बालू पाइले (Sand Piles)~संग्रन्थित पाइले (Composite Piles)~ शीट या चादरी पाइल (Sheet Piles)

पाइलो का वर्गीकरण (Classification of Piles)
Classification of Piles


कार्य के अनुसार पाइलों की किस्में (Varieties of pile according to work)

~ धारक पाइले (Bearing Piles)

~ चादरी  पाइल्स (Sheet Piles)

~ घर्षण पाइले (Friction or Floating Piles)

~ सहनन पाइले (Compaction Piles)

~ढालू या प्रवण पाइल (Batter Piles)

~ निर्देशक पाइल (Guide Pile)


Varieties of pile according to work

 ~ Bearing Piles

 ~ Sheet Piles

 ~ Friction or Floating Piles

 ~ Compaction Piles

 ~ Batter Piles

 ~ Guide Pile


 मटेरियल के अनुसार पाइलों की किस्में (Varieties of piles according to material)

~काष्ठ पाइले (Timber Piles)

~ कंक्रीट पाइले (Concrete Piles)

~इस्पाती पाइले (Steel Piles)

~बालू पाइले (Sand Piles)

~संग्रन्थित पाइले (Composite Piles)

~ शीट या चादरी पाइल (Sheet Piles)


Varieties of piles according to material

 ~ Timber Piles

 ~ Concrete Piles

 ~ Steel Piles

 ~ Sand Piles

 ~ Composite Piles

 ~ Sheet Piles


कार्य के अनुसार पाइलों की किस्में
Varieties of pile according to work


 (1) धारक पाइले (Bearing Piles)

 यह पाइले अध्यारोपित भार को भूमि से नीचे स्थित कठोर स्तर पर स्थानांतरित करती हैं | यह एक साधारण स्तम्ब का कार्य निभाती हैं | यह पाइले काष्ठ, इस्पात अथवा कंक्रीट की बनाई जाती है |

 धारक पाइलों का परिछेद समानता बड़ा रखा जाता है ताकि भार पड़ने पर इनका व्याकुंचन न हो |


 (1) Bearing Piles

 This pile transfers the applied load to a rigid level located below the ground.  It performs the function of a simple pillar.  This pile is made of wood, steel or concrete.

 The cross section of the bearing piles is kept large so that they do not get distorted when under load.


 (2) घर्षण पाइले (Friction Piles)

 यह पाइले अध्यारोपित भार को आसपास की अवमृदा पर अपनी बाहरी सतह तथा मृदा के बीच उत्पन्न त्वरक घर्षण (Skin Friction) के द्वारा संचारित करती है | इस पाइल की लंबाई कम होती है |इसको नीचे कठोर स्तर तक ले जाने की आवश्यकता नहीं होती है |

 घर्षण प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए पाइल की बाहरी सतह का घेरा बढ़ाया जाता है ताकि इसकी अधिक सतह मृदा के संपर्क में आए, पाइल की बाहरी सतह असंम व  खुरदरी बनाई जाती है, इन पाइलों को पास पास गाडा  जाता है |

 घर्षण पाइले वहीं प्रयोग की जाती है जहां कठोर मृदा भूमि तल के नीचे काफी गहराई तक स्थित ना हो | घर्षण पाइल को तैरती पाइल ( Floating Piles)भी कहते हैं |


(2) Friction Piles

 This pile transmits the applied load on the surrounding soil by accelerating friction between its outer surface and the soil.  The length of this pile is short. There is no need to take it down to hard level.

 To increase the resistance to abrasion, the outer surface of the pile is enlarged so that more of its surface is exposed to the soil, the outer surface of the pile is made uneven and rough, these piles are buried close together.

 Friction pile is used only where the hard soil is not located deep enough below the ground floor.  Friction piles are also called floating piles.


(3) ढालू या प्रवण पाइले ( Batter Piles)

 जब पाइलों को भूमि में तिरछा गाड़ा जाता है और यह  क्षैतिज अथवा तिरछे बलों को सहन करती है, तब यह प्रवण पाइले कहलाती हैं |

 यह पाइले प्रतिधारक दीवारों, स्तंभों आदि के बलों को सहन करने के लिए गाड़ी जाती है |


 (3) Batter Piles

 When the piles are slanted in the ground and bear the forces horizontally or diagonally, then they are called batter piles.

 This pile is used to bear the forces of retaining walls, columns etc.



(4) चादरी पाइलें (Sheet Piles)

 चांदरी पाइले प्रतिधारक दीवारों की भाति, इनके पीछे भराव की मिट्टी, जल आदि को रोके रखने के लिए खड़ी की जाती है | इन पाइलों का प्रयोग जलमग्न क्षेत्र में, गहरी नींव की खुदाई करते समय भी किया जाता है, ताकि नीव के पार्श्व से गीली मिट्टी खाई में ना पड़े | यह लकड़ी कंक्रीट या इस्पात की पतली चादरे होती हैं जो एक सुरक्षा पंक्ति के रूप में भूमि में गाड़ दी जाती हैं और क्षैतिज अथवा तिरछे बलों को सहन करती हैं |

 चादरी पाइले संरचनाओं को पानी की सीधी टक्कर कंपन तथा बाहरी आघातों से सुरक्षित रखती हैं, और स्थिरण (Anchor), फैंडर (Fender) आदि अनेक नामों से जानी जाती हैं |


 (4) Sheet Piles

 Sheet Pile is erected like retaining walls, behind them to hold the filler soil, water etc.  These piles are also used in the submerged area, while digging deep foundations, so that wet soil from the bottom of the foundation does not fall into the trench.  These piles are thin sheets of wood, concrete or steel which are buried in the ground as a safety line and bear the forces horizontally or diagonally.

 The sheets piles protect the structures from direct collisions of water, vibration and external shocks, and are known by various names such as Anchor, Fender etc.


(5) सहनन पाईले (Compaction Piles)

 कमजोर मृदा की सहनन द्वारा धारण क्षमता बढ़ाने के लिए सहनन पइले गाड़ी जाती है | जब कणदार मृदा में ठोस पइले गाड़ी जाती हैं तो भूमि का कंपन होता है और अवमृदा की कणो के मध्य रिक्तियां कम हो जाती हैं, जिससे मृदा बलशाली हो जाती है |

 सहनन के बाद पाइलों को ऊपर खींच लिया जाता है और पाइल -छिद्रो में साफ कणदार बालू भर दी जाती है |


 (5) Compaction Piles

 To increase the bearing capacity through compaction of weakened soil, compaction  pile are used.  When concrete piles are driven into the muddy soil, the ground vibrates and the voids between the particles of the soil are reduced, which makes the soil strong.

 After compaction, the piles are pulled up and clean granulated sand is filled in the pile.



 (6) निर्देशक पाइले (Guide Piles)

 यह पाइले काफर बांध (Coffer Dam), कैसून नीव तथा अन्य जालिए संरचनाओं के निर्माण के लिए पानी में गाड़ी जाती है | यह निर्माण काल में संरचना की स्थिति का भान कराती हैं |


 (6) Guide Piles

 It goes into the water for the construction of the Coffer Dam, Kaisun foundation and other mesh structures.  It gives an idea of ​​the state of the structure during the construction period.


 मटेरियल के अनुसार पाइलों की किस्में
Varieties of pylons according to material


 (1)काष्ठ पाइले (Timber Piles)

 काष्ठ की पाइलों के लिए बबूल, खेैर, चीड़, साल देवदार, टीक आदि पेड़ों के मोटे तनो का, इनकी छाल उतारकर प्रयोग किया जाता है |काष्ठ की पाइलें पूर्णता सूखे स्थानो अथवा पानी में लंबे समय तक लाभकारी बनी रहती है | परंतु बार-बार गीले होने और सूखने पर यह गलने लगती है | ख़ैर लकड़ी की पाइलें समुंद्र में अधिक समय तक बनी रहती हैं |



(1) Timber Piles

 The thick stems of trees like acacia, kheer, pine, sal cedar, teak, etc. are used for the wood piles, by peeling off their bark. The wood piles remain beneficial for a long time in dry places or in water.  But when wet and dry again and again it starts melting.  Kheer wood piles remain in the sea for a longer period of time.


 काष्ठ की पाइलों के प्रकार

~ वैक -फील्ड काष्ठ पाइल (Wake -field Pile)

 यह एक विशेष प्रकार की पाईल है |इसमें लकड़ी के तीन पटरो (Planks) को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि एक सिरे पर जीभी (Tongue) तथा दूसरे सिरे पर झिरी (Groove) बनायी जाती है | इस व्यवस्था से इनको चौड़ाई में जोड़कर चादरी पाइलों (Sheet Piles)के रूप में प्रयोग किया जाता है |

 यह पाइल अधिक सामर्थ वाली होती है और जल ग्रस्त स्थानों के लिए उपयुक्त है | यह पार्श्व दाब भी सहन करने योग्य होती है |


Types of wood piles

 ~ Wake -field Pile

 This is a special type of pile. Three wooden planks are added in such a way that Tongue is made on one end and Groove on the other end.  By this arrangement, they are used as sheet piles by adding them in width.

 This pile is more powerful and is suitable for waterlogged places.  This lateral pressure is also tolerable.



(2) कंक्रीट पाइले (Concrete Piles)

 पाइल नीव में सीमेंट कंक्रीट पाइल का उपयोग सर्वाधिक होता है, क्योंकि इनकी भार वहन क्षमता पर्याप्त होती है और मूल्य भी अधिक नहीं होता | आधुनिक बहुतली तथा गगनचुम्बी फ्रेमदार भवनों की नीव के लिए कंक्रीट पाइले एक वरदान सिद्ध हुई है |


 (2) Concrete Piles

 Cement concrete piles are most used in pile foundation, because their load carrying capacity is sufficient and the value is not too high.  Concrete piles have proved to be a boon for the foundation of modern multi-story and skyscraper buildings.

कंक्रीट पाइलों के प्रकार
Types of concrete piles

~ पूर्व निर्मित पाइले (Pre -cast Piles)

 इन पाइलो को सांचे ढली पाइले भी कहते है | यह फैक्ट्री में ढाली जाती है और तराई करने के बाद, निर्माण स्थल पर लाकर घनो की चोटों से अवमृदा में गाड़ी जाती है | यह पाइलें प्रबलित सीमेंट कंक्रीट की होती है और अधिक भार सहन कर लेती हैं |


~ Pre -cast Piles

 These piles are also called molded piles.  It is molded in the factory and after being curing, brought to the construction site and is driven into subsoil with deep injuries.  These piles are reinforced cement concrete and bear more load.


~तत स्थानिक पाइले (Cast -in-Situ Piles)

 यह पइले निर्माण स्थल पर, नींव भूमि में आवश्यक गहराई तक छिद्र (Bore) करके तथा उसमें सीमेंट कंक्रीट भर कर ढाली जाती है |

 ततस्थानिक पाइले भार वाहन के अनुसार सादा सीमेंट कंक्रीट अथवा प्रबलित सीमेंट कंक्रीट की ढाली जाती है |


~ Cast -in-Situ Piles

 At this construction site, the foundation is molded by filling holes in the ground to the required depth and filling it with cement concrete.

 Plain cement concrete or reinforced cement concrete is molded according to topological pile load vehicle.

 ततस्थानिक पाइलों के प्रकार (Types of Cast -in-Situ Piles)

(a) सिम्पलेक्स पाइल (Simplex Piles)

(b)फ्रेंकी पाइल (Franki Pile)

(c)वाइब्रो पाइल (Vibro Pile)

(d)रेमोड़ पाइल (Raymond Pile)

(e)मैक -आर्थर पैडस्टल पाइल (Mac -Authur Pedestal Pile)

(f)अण्डर रीम पाइल (Under -Reamed Pile)


Types of Cast -in-Situ Piles

 (a) Simplex Piles

 (b) Franki Pile

 (c) Vibro Pile

 (d) Raymond Pile

 (e) Mac-Arthur Pedestal Pile

 (f) Under-Reamed Pile


(a)सिम्पलेक्स पाइल (Simplex Pile)

 उचित व्यास का इस्पात का खोल जिसके नीचे सिर पर लोहे का पृथककी पादत्र (Detachable iron shoe) लगा होता है, भूमि में आवश्यक गहराई तक गाड़ दिया जाता है | अब खोल को थोड़ा ऊपर खींच लेते हैं और उतनी गहराई में सीमेंट कंक्रीट भर देते हैं | यह क्रम चलता रहता है | इस प्रकार पूरा खोल ऊपर खींच लिया जाता है और सुराख़ में कंक्रीट भर दी जाती है |

 लोहे का प्रथक्की पादत्र नीचे पाइल की तली पर ही रहने दिया जाता है और प्रत्येक नई पाइल के लिए नया पादत्र प्रयोग किया जाता है |



(a) Simplex Pile

 A steel shell of appropriate diameter, below which the head has a detachable iron shoe, is buried to the required depth in the ground.  Now pull the shell up a little and fill the cement concrete to that depth.  This sequence goes on.  In this way the entire shell is pulled up and concrete is filled in the eyelet.

 The iron shoe is allowed to remain at the bottom of the pile and a new iron shoe is used for each new pile.

(b) फ्रैंकी पाइल (Franki Pile)

 यह पाइल तली पर कुछ अधिक बड़ी होती है तथा ऊपर सतह लहरिया होती है | इसके नीचे कंक्रीट का ठोस प्लग (Concrete Plug) लगाया जाता है | खोल को  ऊपर खींचते रहते हैं तथा सुराख में कंक्रीट भरते जाते हैं और एक पाती घन (Drop hammer)से कंक्रीट की कुटाई भी करते जाते हैं, जिससे पाइल की बाहरी सतह खुरदरी या लहरिया हो जाती है |


(b) Franki Pile

 This pile is slightly larger at the bottom and the top surface is undulating.  Below this, a concrete plug is placed.  The shell is pulled up and the concrete is filled in the hole and the concrete is also crushed with a drop hammer, which makes the outer surface of the pile rough or wavy.


(c)वाइब्रो पाइल (Vibro Pile)

 यह बहुत नर्म तथा जलग्रस्त भूमि में डाली जाती है | लोहे का खोल जिसकी तली पर पृथककी पादत्र लगा होता है, भूमि में आवश्यक गहराई तक गाड़ देते हैं | अब सुराख में कुछ गहराई तक कंक्रीट भरकर खोल को बार बार ऊपर उठाया तथा नीचे गिराया जाता है | इससे कंक्रीट की कुटाई होती है और वह सुराख में पूरी तरह भर जाती है | इस क्रम से पूरी गहराई में कंक्रीट भर जाती है और खोल बाहर निकाल दिया जाता है |


(c) Vibro Pile

 It is dumped in very soft and waterlogged soil.  The iron shell, which has a separate 
Detachable iron shoe on its bottom, bury it to the required depth in the ground.  Now, filling the concrete to some depth in the hole, the shell is repeatedly raised and lowered.  This leads to concrete milling and it fills completely in the hole.  In this sequence, concrete is filled at full depth and the shell is taken out.


(d)रेमोंड पाइल (Raymond Pile)

 यह पाइल शुण्डाकार (Taper) प्रकार की होती है | तली की तरफ इसका परिछेद कम होता जाता है | सुराख में धातु का टेपर खोल, मेड्रल (Mandrel) की सहायता से खड़ा करके इसमें कंक्रीट भर दी जाती है और मेड्रेल को बाहर निकाल दिया जाता है |


(d) Raymond Pile

 This pile is of Taper type.  Its section towards the bottom gets reduced.  The metal taper shell in the eyelet is erected with the help of the mandrel and the concrete is filled in it and the medrail is taken out.


(e) मैक -अर्थर पेैडस्टल पाइल (Mac -Arthur Pedestal Pile)

 इस प्रकार की पाइल की तली पर कंक्रीट की एक चौकी (Pedestal) बनाई जाती है | खोल को सुराख से थोड़ा ऊपर निकाल कर, सुराख़ की तली में कंक्रीट भर दी जाती है, और एक कोर (core) की सहायता से से अच्छी तरह ठोकते हैं, जिससे कंक्रीट तली पर फेल कर एक चौकी (Pedestal)का आकार ले लेती है और मृदा को जकड़ लेती है | अब खोल ऊपर खीचते जाते हैं और कंक्रीट भरकर कोर से इसकी  कुटाई करते जाते हैं | यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक पूरे सुराख में कंक्रीट ना भर जाये |

 यह पाइल गहराई पर स्थित कमजोर मृदा की धारण क्षमता बढ़ाने का कार्य करती है और चौकी के कारण अत्यधिक भार पर भी स्थिर रहती है |


(e) Mac-Arthur Pedestal Pile

 A concrete pedestal is made on the bottom of this type of pile.  With the shell slightly above the eyelet, the concrete is filled in the bottom of the eyelet, and poked well with the help of a core, so that the concrete spread to form a pedestal on the bottom.  And grips the soil.  Now the shells are pulled up and filled with concrete and crushed from the core.  This sequence continues until the entire hole is filled with concrete.

 It works to increase the bearing capacity of weak soil located at the pile depth and due to the outpost, it is stable even under high load.


(f) अंडर रीम पाइल (Under -Reamed Pile)

 यह पाइल केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की (C.B.R.I) ने विकसित की है और काली मिट्टी (Black cotton soil), रेतीली मृदा अथवा भराव वाली भूमि (Made -up Ground) के लिए उत्तम है | यह पाइल विशेष तौर से बहुखंडी भवनों की नींव के लिए उपयुक्त है | यह सस्ती पड़ती है तथा कम समय में बनाई जा सकती है | इस प्रकार की नींव के लिए अधिक गहराई तक जाने की आवश्यकता नहीं रहती |


(f) Under-Ream Pile

 This pile has been developed by the Central Building Research Institute, Roorkee (C.B.R.I) and is suitable for black cotton soil, sandy soil or made -up ground.  This pile is especially suitable for the foundation of multicolored buildings.  It is cheap and can be made in a short time.  There is no need to go deep for this type of foundation.



(3) इस्पाती पाइले (Steel Piles)

 अत्यधिक भार तथा कम गहरी नींव के लिए इसपाती पइले गाड़ी जाती है | यह नर्म अथवा कठोर दोनों प्रकार की भूमि में गाड़ी जा सकती हैं |इस्पाती पाइलों को भूमि में गाड़न आसान है | इनके टूटने की संभावना नहीं होती | यह पाइल काफी महंगी पड़ती है |

(3) Steel Piles

 For heavy loads and less deep foundations, this steel pile goes.  It can be used in both soft or hard lands. Steel piles are easy to bury in the land.  They are unlikely to break.  This pile is very expensive.

  इस्पाती पाइलों के प्रकार (Types of steel piles)

(a)पाइप की पाइल (Tube Pile)

(b)H - गार्डर की पाइल (H -Type Girder Pile)

(c)बॉक्स पाइल (Box Pile)

(d) पेचदार या स्क्रूपाइल (Screw Pile)

(e) चकती डिस्क पाइल (Disc Pile)

Types of steel piles

 (a) Tube Pile

 (b) H -Type Girder Pile

 (c) Box Pile

 (d) Screw Pile

 (e) Disc Pile


(a) पाइप की पाइल (Tube Pile)

 इस्पात की उचित व्यास की नलिकाओं को पाइलों के रूप में भूमि में धसा दिया जाता है | पाइलो का निचला सिरा खुला रखा जाता है अथवा तली पर ढलवा लोहे का पादत्र (Shoe)लगाकर बंद कर दिया जाता है |

 पाइप के अंदर की मिट्टी संपीड़ित वायु अथवा पानी के जेट की सहायता से निकाल दी जाती है और इसमें सीमेंट कंक्रीट भर दी जाती है |


(a) Tube Pile

 Proper diameter tubes of steel are pushed into the ground in the form of piles.  The lower end of the piles is kept open or closed with a cast iron Shoe on the bottom.

 The soil inside the pipe is removed with the help of compressed air or jet of water and cement concrete is filled in it.


(b)H -गर्डर की पाइल (H -Type Girder Pile)

 अत्यधिक सकेंद्रित भारों के लिए H -आकार के इस्पात के गार्डर भूमि में उतार दिए जाते हैं | गाड़ते समय यह पाइले आसपास की अवमृदा व संरचनाओं को कम कम्पित करती हैं | गार्डरों  की तली पर पादत्र लगाने की आवश्यकता नहीं है | पाइलों के शीर्ष पर इस्पात की मोटी प्लेट, सांझी टोपी (Cap) के रूप में वेल्ड कर दी जाती है और इसे कंक्रीट में दबा दिया जाता है |

 यह पाइले अधिकतर धारक पाइलों के रूप में प्रयोग की जाती है |


(b) H -Type Girder Pile

 For highly concentrated loads, H-shaped steel girders are unloaded into the ground.  This pile makes the surrounding subsoils and structures less shrunk while burying.  There is no need to apply shoe on the bottom of the girders.  A thick steel plate at the top of the piles is welded as a cap and pressed into the concrete.

 This pile is mostly used as holder piles.



(c)बॉक्स पाइल (Box Pile)

 यह पाइल मोटी इस्पातीय प्लेटो को बक्से की शक्ल में मोड़कर बनाई जाती है और वर्गाकार अथवा बहुभुजाकार प्रकार की होती है | इस पाइल को उचित गहराई तक अवभूमि में गाड़कर, इसके भीतर कंक्रीट भर दी जाती है |



(c) Box Pile

 This pile is made by folding thick steel plates into the shape of a box and is of square or polygonal type.  The pile is filled to the depth to the appropriate depth by filling it with concrete.


(d) पेचदार या स्क्रूपाइल (Screw Pile)

 इस प्रकार की पाइल में ढ़लवा लोहे अथवा इस्पात का खोखला धुरा (Shaft)होता है जिसके निचले सिरे पर ढलवा लोहे के ब्लेड अथवा स्क्रु बने होते हैं | धुरे का व्यास 10 सेंटीमीटर से 30 सेंटीमीटर तथा ब्लेड का व्यास 50 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर होता है | धुरे की तली नुकीली अथवा कुंठित (Blunt End)होती है |

 धुरे को यांत्रिक विधि से घुमाने पर यह पाइल पेच की भांति भूमि में धसती चली जाती है |

 स्क्रूपाइल 6 मीटर गहराई तक उपयुक्त है | इस पाइल को गाड़ते समय अव भूमि में कंपन आदि उत्पन्न नहीं होते हैं | यह पूर्व निर्मित संरचनाओं के समीप नई नीव  डालने में प्रयोग की जा सकती है |


(d) Screw Pile

 This type of pile consists of a molded iron or steel hollow shaft with a cast iron blade or screw at the lower end.  The diameter of the axle is 10 cm to 30 cm and the diameter of the blade is 50 cm to 150 cm.  The axle has a blunt end.

 When the axle is rotated by mechanical method, it goes into the ground like a pile screw.

 The screwup is suitable up to 6 meters deep.  While burying this pile, vibrations etc. do not occur in the ground.  It can be used to put new foundation near pre-built structures.


(e)चकती या डिस्क पाइल (Disc Pile)

 यह पाइल इस्पात के सिलेंडर की बनी होती है इसकी तली के पास ढलवा लोहे की चकती लगी होती है | चकती का व्यास 60 सेंटीमीटर से 120 सेंटीमीटर होता है | चकती का घेरा बड़ा होने के कारण इस पाइल का  धारण क्षेत्रफल अधिक होता है | सिलेंडर का निचला सिरा टेपर रखा जाता है, ताकि धसन क्रिया में सरलता बनी रहे |
 डिस्क पाइल को पानी के जेट के द्वारा भूमि में धसाया  जाता है | यह पाइल नर्म मृदा तथा कम गहराई की नींव के लिए उपयुक्त है | इसका उपयोग अधिकतर समुंद्री निर्माण कार्यों में किया जाता है |


(e) Disc Pile

 This pile is made of steel cylinders and there is a cast iron plate near its bottom.  The diameter of the disc is 60 cm to 120 cm.  The area of ​​this pile is higher due to the larger circle of disc.  The lower end of the cylinder is tapped, so that ease of damping is maintained.

 The disk pile is pushed into the ground by a jet of water.  This pile is suitable for soft soil and low depth foundations.  It is mostly used in marine construction works.


(4) बालू पाइले (Sand Piles)

 भूमि के अंदर बरमे अथवा अन्य विधि से उचित व्यास का क्षेत्र खोदकर, इसकी मिट्टी निकाल दी जाती है | अब इस सुराख़ में मोटी कणदार बालू भरकर अच्छी तरह कूट दी जाती है | पाइल के ऊपरी भाग में सीमेंट कंक्रीट डालकर इसका शीर्ष बंद कर दिया जाता है | 

 बालू पाइले नीव की मृदा का स्थायीकरण करने तथा इसकी धारण क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई जाती है | यह पाइल नर्म अथवा दलदली भूमि का सहनन करने का कार्य भी करती है |


(4) Sand Piles

 The soil is removed by digging an area of ​​the appropriate diameter by drilling or other method inside the land.  Now this hole is filled with thick granulated sand and cured well.  Cement concrete is placed on the top of the pile and its top is closed.

 Sand pile is made to stabilize the soil of the foundation and increase its holding capacity.  This pile also serves to tolerate soft or marshy land.


(5)सग्रंथित पाइले (Composite Piles)

 जब दो विभिन्न पदार्थों से निर्मित पाइलों को, एक 
दूसरे के ऊपर जोड़कर नई पाइल तैयार की जाती है तो इसे सग्रंथित पाइले कहते हैं |

 लकड़ी जब पूर्ण रूप से पानी में डूबी रहती है तो इसकी आयु काफी अधिक होती है | इस तथ्य को दृष्टि में रखकर संग्रांथित पाइलों के निचले भाग में काष्ठ पाइल तथा ऊपरी भाग में कंक्रीट की पाइल प्रयोग की जाती है | काष्ठ की पाइल अंतः भौम जल स्तर से कुछ नीचे तक रखी जाती है तथा उसके ऊपर कंक्रीट की पाइल जोड़ दी जाती है | दोनों पाइलों के जोड़ पर जिभी -झिर्री  बनाकर, उसमें डावल व पिन डाल दिये जाते हैं |

 इन पाइलो का विशेष परिस्थितियों में ही प्रयोग किया जाता है | इस पाइल का निर्माण सरल पड़ता है और मितव्ययी भी रहता है |


(5) Composite Piles

 When piles made of two different materials, one If a new pile is prepared by adding it on top of the other, it is called an composite pile.

 When the wood is completely immersed in water, its lifespan is much longer.  Keeping this fact in view, the wood pile is used at the bottom of the composite piles and the concrete piles at the top.  The pile of wood is kept somewhat below the ground water level and the concrete pile is added on top of it.  On the joint of both the piles, Tongued and Grooved Joint are made, dowels and pins are put in it.

 These piles are used only under special conditions.  The construction of this pile is simple and is also economical.


(6)चादरी या शीट पाइले (Sheet Piles)

 चादरी पाइले लकड़ी इस्पात अथवा कंक्रीट की पतली चादरे होती हैं, जिनको एक पंक्ति के रूप में जोड़कर, ऊर्ध्वाधर दीवार की भांति खड़ा किया जाता है ( जमीन में गाड़ दिया जाता है ) यह भराव की मिट्टी को परिरुद्ध करने का कार्य करती है अथवा नीव की गहरी खाइयो में दलदल व बहती मृदा को घुसने से रोकती है | यह ढालू भूमि पर निर्मित संरचनाओं की नींव को नीचे की ओर खिसकने से रोकती है तथा नदी नालों के किनारे बने भवनों की नींव को पानी द्वारा कटने से बचाती है |

 चादरी पाइले आभार वाही पाइले है, अतः इन पर कोई ऊर्ध्वाधर भार नहीं डाला जाता | इनका प्रयोग अधिकतर आस्थाई निर्माण कार्य में किया जाता है |


(6) Sheet Piles

 Sheet piles are thin sheets of wood, steel or concrete, which are folded together in a row, like a vertical wall (buried in the ground) to protect the soil of the filler of the foundation.  Prevents the swamp and overflowing soil from entering deep troughs.  This prevents the foundations of structures built on sloping land from slipping downwards and prevents the foundations of buildings on the banks of river drains from being cut by water.

 The sheet piles is a gratitude pipe, so no vertical load is put on it.  They are mostly used in temporary construction work.

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भवनों के प्रकार (Types of Building)  प्रयोग की दृष्टि से भवन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं (1) आवासीय भवन (Residential Buildings) (2) सार्वजनिक भवन (Public Buildings) (3) व्यवसायिक भवन (Commercial Buildings ) (4) औद्योगिक भवन (Industrial Buildings) (5) धार्मिक तथा ऐतिहासिक भवन (Religious and Historical Buildings) Types of Building   From the point of view of building, the following types are  (1) Residential Buildings  (2) Public Buildings  (3) Commercial Buildings  (4) Industrial Buildings  (5) Religious and Historical Buildings (1) आवासीय भवन (Residential Buildings)  व्यक्ति अथवा परिवार के रहने के लिए जो मकान बनाए जाते हैं, यह आवासीय भवन कहते हैं | इनमें आवश्यक रूप से सोने के, बैठने के, स्नान करने, खाना बनाने तथा अन्य कार्यों के लिए अलग-अलग कमरे निर्मित किए जाते हैं | यह एकतली अथवा बहुतली होते हैं | इनमे वायु,  प्रकाश की उचित व्यवस्था की जाती है | इनमें पेयजल आपूर्ति तथा दूषित जल निकासी की व्यवस्था भी की जाती है | आवासीय भवनों के अंतर्गत मकान, बंगला, फ्लैट, क्वार्टर आदि आ

सर्वेक्षण के मूलभूत सिद्धांत(Basic principles of surveying)

सर्वेक्षण के मूलभूत सिद्धांत (basic principles of survey) कार्य की परिशुद्धता को दृष्टि में रखते हुए सर्वेक्षण के मूलभूत सिद्धांत निम्नलिखित हैं (Following are the basic principles of survey keeping in view the precision of work) 1. पूर्ण से अंश की ओर सर्वेक्षण कार्य बढ़ाना (Working from whole to the part) 2.नए बिंदुओं की स्थिति कम से कम दो संदर्भ बिंदुओं से निर्धारित करना (Locating new points from two Reference point) 1.Working from whole to the part  2.Determining the position of new points with at least two reference points (Locating new points from two reference point) 1.प्रथम सिद्धांत के अनुसार सर्वेक्षण कार्य पूर्ण से शुरू किया जाता है  |और इसे अंश की ओर बढ़ाया जाता है जिस क्षेत्र में सर्वेक्षण करना होता है, सर्वप्रथम उसमें पर्याप्त मुख्य नियंत्रण बिंदुओं का बड़ी सावधानी से चयन किया जाता है, और इन बिंदु की स्थिति की परिशुद्धता से जांच की जाती है,  अब इन बिंदुओं के द्वारा लघु बिंदु स्थापित किए जाती हैं जिनमें कम परिशुद विधि अपनाई जा सकती है |     इस सिद्धांत से लघु त्र

भवन की योजना (Planning of Buildings), भवन योजना के सिद्धांत (Principles of Building Planning)

भवन की योजना (Planning of Buildings)  भवन चाहे छोटा हो अथवा बड़ा आवासीय हो, सार्वजनिक हो अथवा औद्योगिक, इसकी पूर्ण योजना निर्माण से पहले बना लेना आवश्यक है | भवन की योजना बनाने से निम्न लाभ होते हैं - 1. आवश्यकता के अनुसार भवन के खंडों का विन्यास किया जा सकता है | 2. भवन की निर्माण लागत पर नियंत्रण रहता है | 3. भवन में अधिक सुविधाएं प्राप्त की जा सकती हैं | 4. संरचना में आवश्यक फेरबदल व तोड़फोड़ से बचा जा सकता है | 5. समय के अंदर भवन तैयार हो सकता है | सामग्री श्रमिक तथा समय का पूर्ण उपयोग होता है | Planning of Buildings  Whether the building is small or big residential, public or industrial, it is necessary to make its complete plan before construction. Building planning has the following benefits -  1. The building blocks can be configured as per the requirement.  2. Control over the construction cost of the building.  3. More facilities can be availed in the building.  4. Necessary alterations and sabotage in the structure can be avoided.  5. Building can be ready withi