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तलेक्षण का सिद्धांत (Principle of Levelling) - तलेक्षण संबंधी मूल शब्दावली (Basic Terms used in levelling) - 1.समतल सतह (Level Surface),2. समतल रेखा (Level Line),3. क्षेतिज समतल (Horizontal Plane),4. क्षेतिज रेखा (Horizontal line),5. ऊर्ध्वाधर समतल (Vertical Plane),6. ऊर्ध्वाधर रेखा (Vertical line),7. ऊर्ध्वाधर कोण (Vertical Angle),8. गृहित तल या अधार रेखा (Datum surface or Datum line),9.समानीत तल (Reduced Level - R. L),10. तल चिन्ह (Banch Mark - B. M) - 1.जीo टीo एसo तल चिन्ह (G. T. S Bench Mark)2. स्थाई तल चिन्ह (Permanent Bench Marks)3. अस्थाई तल चिन्ह (Temporary Bench Marks)4. स्वेछक तल चिन्ह (Arbitrary Bench Marks)

तलेक्षण का सिद्धांत (Principle of Levelling)  तलेक्षण में, लेवल उपकरण से एक काल्पनिक क्षैतिज रेखा स्थापित की जाती है, जिसे दृष्टि रेखा  (line of Sight) कहते हैं और इस रेखा की संदर्भ से, वांछित बिंदुओ की तलेक्षण गज़ (Staff) द्वारा ऊर्ध्वाधर दूरी ( ऊंचाई / गहराई ) नापी जाती है |  तलेक्षण के सिद्धांत के अनुसार यदि किसी बिंदु पर गज पठन अधिक पढ़ा जाता है, तो वह बिंदु कम गज पाठयाक वाले अन्य बिंदु से नीचे स्थित होगा | चित्र के अनुसार बिंदु A पर गज पाठयाक 2.240 m है और लेवल उपकरण की उसी स्थापना पर अन्य बिंदु B पर गज पाठयाक 3.325 m है | A पर पाठयाक = 2.240 (+) B पर पाठयाक = 3.325 (-)         अंतर         1.085 (-) अतः बिंदु B, बिंदु A से 1.085 m नीचे स्थित है अथवा बिंदु A, बिंदु B से 1.085 m ऊंचा है | विभिन्न बिन्दुओ के समानीत तलो की (Reduced level  - R. L) की गणना इसी सिद्धांत पर  की जाती है | Principle of Levelling  In Levelling, an imaginary horizontal line is established with the level instrument, which is called the line of sight, and with the reference of this line, the vertica
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चुंबकीय दिकपात (Magnetic Declination),A.शून्य दिकपाती रेखा (Agonic Lines),B.सम दिकपाती रेखा (Isogonic Lines),दिकपात विचरण (Variation in Magnetic Declination), सत्य दिकमान ज्ञात करना (Calculations of True Bearing)

दिकपात (Declination)  ऐसा देखा गया है कि कुछ स्थानों को छोड़कर, पृथ्वी की अन्य जगहों पर चुंबकीय याम्योत्तर  (Magnetic Meridian), भौगोलिक याम्योत्तर (True Meridian) से ठीक मेल (Coincide) नहीं खाता है | इसका कारण पृथ्वी पर चुंबकीय बलो की दिशा में भिन्नता होना बताया जाता है | अतः चुंबकीय याम्योत्तर सत्य याम्योत्तर के दायी अथवा बाई तरफ झुक जाता है | चुंबकीय याम्योत्तर, इस प्रकार झुक कर भौगोलिक याम्योत्तर से जो क्षेतिज कोण बनाता है, उसे चुंबकीय दिकपात अथवा दिकपात कहते हैं |  जब चुंबकीय याम्योत्तर, भौगोलिक याम्योत्तर के दायी तरफ ( पूर्व दिशा में ) झुकता है, तो इसे पूर्वी  (धनात्मक ) दिकपात कहते हैं, जब यह बायी ओर ( पश्चिम दिशा में ) झुकता है, तो इसे पश्चिमी  ( ऋणात्मक )दिकपात के नाम से जाना जाता है |  भौगोलिक याम्योत्तर खगोलिक प्रेक्षण द्वारा स्थापित किया जाता है और चुंबकीय याम्योत्तर किसी भी दिकसूचक से ज्ञात कर लिया जाता है | इन दोनों का कोणीय अंतर ही चुंबकीय दिकपात कहलाता है |  चुंबकीय दिकपात का मान सदा एक समान नहीं रहता है | पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर तथा एक ही जगह पर भी भिन्न-भिन्न समय

सर्वेक्षण रेखा के दिकमान (Bearings of a Line),A.रेखा (line),B. दिकमान (Bearing)C. दिकमानो में संबंध (Relationship in bearings), दिकमानो से रेखाओ के अंतर्गत कोणो की गणना (Calculating the Included angles for Bearings),चक्रम के कोणों की गणना करना (Calculating Angles of a Traverse)

सर्वेक्षण रेखा के दिकमान (Bearings of a Line) A.रेखा (line) दो स्टेशन - बिंदुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा, सर्वेक्षण रेखा कहलाती है | सर्वेक्षण रेखा का नामांकन इसके छोरों पर दर्शाए गए अक्षरों से किया जाता है जैसे रेखा AB इसमें प्रारंभिक बिंदु A तथा अंतिम बिंदु B है | हम रेखा BA भी कह सकते हैं, परंतु तब B इसका प्रारंभिक बिंदु तथा A इसका अंतिम बिंदु होगा | A.Line  A straight line joining two station-points is called a survey line. The enrollment of the survey line is done by the letters shown at its ends such that line AB has starting point A and ending point B. We can also call the line BA, but then B will be its starting point and A will be its end point. B. दिकमान (Bearing)  प्रत्येक सर्वेक्षण रेखा के दो दिकमान होते हैं | जो दिकमान रेखा के प्रारंभिक बिंदु पर ( कार्य की प्रगति की दिशा की ओर ) लिया जाता है उसे अग्र दिकमान (Fore Bearing - F. B) और जो दिकमान आगे बढ़कर रेखा के अंतिम बिंदु पर ( कार्य की प्रगति की दिशा के विपरीत ) लिया जाता है, उसे पश्य दिकमान (Back Bearing - B.

दिकसूचक के प्रयोग में सावधानियां (Precautions to be taken while using the Compass),दिकसूचक की जांच तथा समंजन (Testing and Adjustment of the compass) - 1. चुंबकीय सुई की जांच तथा समंजन (Magnetic Needle Testing and Adjustment),2. बेधिकाओ की जांच तथा समंजन (Checking and setting of vanes),3. बाहरी आकर्षण की जांच तथा सुधार उपाय (External Attractiveness Testing and Correction Measures)

दिकसूचक के प्रयोग में सावधानियां (Precautions to be taken while using the Compass)  दिकसूचक का प्रयोग करते समय त्रुटियों से बचने के लिए निम्न सावधानियां रखनी चाहिए - Precautions to be taken while using the Compass  The following precautions should be taken to avoid errors while using the compass - 1. दिकसूचक स्थापन (Compass Installation)  दिकसूचक को स्टेशन पर त्रिपाद के ऊपर कसकर भलीं भांति समतल कर लेना चाहिए | उपकरण से एक कंकरी गिरा कर स्टेशन बिंदु की जांच कर लेनी चाहिए | 1. Compass Installation  The compass should be leveled tightly over the tripod at the station. The station point should be checked by dropping a stone from the equipment. 2. सुई का कम्पन (Needle Vibration)  चुंबकीय सुई की हरकत ( कंपन ) को बंद करने के लिए, दिकसूचक की रोक पिन ( ब्रेक पिन ) को दबाएं और धीरे से छोड़ दें |पाठयाक पढ़ते समय सुई पूर्णता रुकी होनी चाहिए | 2. Needle Vibration  To stop the movement of the magnetic needle, depress the brake pin of the compass and release it slowly. The needle should

दिकसूचक (compasses) - सर्वेक्षक दिकसूचक (Surveyor compass), प्रिजमेटिक दिकसूचक (Prismatic Compass),दिकसूचक से दिकमान पठन (Taking Bearing from a compass) -1. केंद्रन (Centering),2. समतलन (Levelling),3. प्रेक्षण (Observation),सर्वेक्षक दिकसूचक वा प्रिजमेटिक दिसूचक में तुलना (Comparison in between Surveyor and Prismatic Compasses)

दिकसूचक (compasses) सर्वेक्षक दिकसूचक (Surveyor compass)  सर्वेक्षक दिकसूचक मे दिकमान चतुर्थश दिकमान प्रणाली में पढ़े जाते हैं |   रचना  सर्वेक्षक दिकसूचक एक पुराना दिशा मापी उपकरण है | इसे खान दिकसूचक (Miner's Dial) भी कहते हैं | यह पीतल का 125mm व्यास का गोल बक्सा होता है, जिसकी परिधि पर दो वेधिकाये दर्शा तथा दृश्य वेधिकाये ठीक एक-दूसरे के आमने-सामने ( व्यासीय विपरीत दिशा में ), कब्ज़ाे द्वारा लगी होती है | प्रयोग के समय इनको ठीक ऊर्ध्वाधर खड़ा कर लिया जाता है | दर्शा वेधिका में एक ऊर्ध्वाधर झिर्री होती है जिससे लक्ष्य की ओर देखा जाता है | दृश्य वेधिका की झिर्री में एक ऊर्ध्वाधर घुड़ बाल लगा रहता है, जो लक्ष्य बेधने के काम आता है | Surveyor compass  The dimensions of the surveyor's compass are read in the quadrantal bearing system.   Composition  Surveyor's compass is an old direction measuring instrument. It is also called Miner's Dial. It is a brass round box of 125 mm diameter, on whose circumference two vanes such as eye vane and object vane are exactl

ज़रीब सर्वेक्षण मे त्रुटियां तथा उनका निवारण(Errors and their redressal in chain survey), ज़रीब मापन में भूले (Mistakes in Chaining),A. चेन या टेप मे झोल सुधार (Sag correction in chain or tape),B.चेन या टेप मे तनाव के कारण शुद्धि (correction for pull or tension in a tape or chain),C. ज़रीब मे तापमान के लिए संशोधन (correction for temperature in chain or tape),D. ज़रीब के मानकीकरण के लिए संशोधन (Correction for Standardization),E. ज़रीब मे ढाल के लिए संशोधन (Correction for slope in chain)

ज़रीब सर्वेक्षण मे त्रुटियां तथा उनका निवारण (Errors and their redressal in chain survey)  जरीब कार्य उत्पन्न होने वाली त्रुटियों के स्त्रोत तथा निवारण उपाय निम्न है - 1. ज़रीब / फीते की अशुद्ध  लंबाई होना 2. ज़रीब का सीध से बाहर निकल जाना 3. जरीब /फीते को पूरी तरह से ना खोलना 4. ढाल मापन के समय ज़रीब में झोल आ जाना 5. तापमान में अत्यधिक परिवर्तन होना 6. खिंचाव बल में परिवर्तन होना 7. गलत निशान लगाना Errors and their redressal in chain survey   Following are the sources of errors and redressal measures arising out of chain work -  1. Having an incorrect length of the chain / tape  2. Chain out of line  3. Non-opening of cahin/tape  4. Misalignment in slope measurement  5. Extreme changes in temperature  6. Variation in stretching force  7. False Marking 1. ज़रीब / फीते की अशुद्ध लंबाई होना ज़रीब /फीते की लंबाई निर्दिष्ट लंबाई से कम अथवा अधिक होना  यह संचयी त्रुटि कहलाती है, क्योंकि प्रत्येक ज़रीब लंबाई में संचित होती जाती है | यह एक गंभीर त्रुटि है | इसके निवारण के लिए - ~ कार्य