तलेक्षण का सिद्धांत (Principle of Levelling) तलेक्षण में, लेवल उपकरण से एक काल्पनिक क्षैतिज रेखा स्थापित की जाती है, जिसे दृष्टि रेखा (line of Sight) कहते हैं और इस रेखा की संदर्भ से, वांछित बिंदुओ की तलेक्षण गज़ (Staff) द्वारा ऊर्ध्वाधर दूरी ( ऊंचाई / गहराई ) नापी जाती है | तलेक्षण के सिद्धांत के अनुसार यदि किसी बिंदु पर गज पठन अधिक पढ़ा जाता है, तो वह बिंदु कम गज पाठयाक वाले अन्य बिंदु से नीचे स्थित होगा | चित्र के अनुसार बिंदु A पर गज पाठयाक 2.240 m है और लेवल उपकरण की उसी स्थापना पर अन्य बिंदु B पर गज पाठयाक 3.325 m है | A पर पाठयाक = 2.240 (+) B पर पाठयाक = 3.325 (-) अंतर 1.085 (-) अतः बिंदु B, बिंदु A से 1.085 m नीचे स्थित है अथवा बिंदु A, बिंदु B से 1.085 m ऊंचा है | विभिन्न बिन्दुओ के समानीत तलो की (Reduced level - R. L) की गणना इसी सिद्धांत पर की जाती है | Principle of Levelling In Levelling, an imaginary horizontal line is established with the level instrument, which is called the line of sight, and with the reference of this line, the vertica
चुंबकीय दिकपात (Magnetic Declination),A.शून्य दिकपाती रेखा (Agonic Lines),B.सम दिकपाती रेखा (Isogonic Lines),दिकपात विचरण (Variation in Magnetic Declination), सत्य दिकमान ज्ञात करना (Calculations of True Bearing)
दिकपात (Declination) ऐसा देखा गया है कि कुछ स्थानों को छोड़कर, पृथ्वी की अन्य जगहों पर चुंबकीय याम्योत्तर (Magnetic Meridian), भौगोलिक याम्योत्तर (True Meridian) से ठीक मेल (Coincide) नहीं खाता है | इसका कारण पृथ्वी पर चुंबकीय बलो की दिशा में भिन्नता होना बताया जाता है | अतः चुंबकीय याम्योत्तर सत्य याम्योत्तर के दायी अथवा बाई तरफ झुक जाता है | चुंबकीय याम्योत्तर, इस प्रकार झुक कर भौगोलिक याम्योत्तर से जो क्षेतिज कोण बनाता है, उसे चुंबकीय दिकपात अथवा दिकपात कहते हैं | जब चुंबकीय याम्योत्तर, भौगोलिक याम्योत्तर के दायी तरफ ( पूर्व दिशा में ) झुकता है, तो इसे पूर्वी (धनात्मक ) दिकपात कहते हैं, जब यह बायी ओर ( पश्चिम दिशा में ) झुकता है, तो इसे पश्चिमी ( ऋणात्मक )दिकपात के नाम से जाना जाता है | भौगोलिक याम्योत्तर खगोलिक प्रेक्षण द्वारा स्थापित किया जाता है और चुंबकीय याम्योत्तर किसी भी दिकसूचक से ज्ञात कर लिया जाता है | इन दोनों का कोणीय अंतर ही चुंबकीय दिकपात कहलाता है | चुंबकीय दिकपात का मान सदा एक समान नहीं रहता है | पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर तथा एक ही जगह पर भी भिन्न-भिन्न समय